Hindu Professor in Pahalgam Attack: कलमा पढ़कर बचाई जान सामने था आतंकी फिर भी नहीं चलाई गोली! हिंदू प्रोफेसर की सूझबूझ ने बचा ली जान

Hindu Professor in Pahalgam Attack: असम विश्वविद्यालय के प्रोफेसर देबाशीष भट्टाचार्य ने बताया कि कैसे उन्होंने पहलगाम आतंक हमले में ‘कलमा’ पढ़कर अपनी जान बचाई। जब आतंकवादी गैर मुसलमान को निशाना बना रहे थे तब भट्टाचार्य ने इस्लामी कलमा पढ़कर आतंकवादियों को धोखा देकर बचने में सफलता पाई।
आतंकवादियों ने ‘कलमा’ पढ़ने का किया दबाव
सूत्रों के अनुसार, पहलगाम हमले में आतंकवादियों ने गैर मुसलमान से ‘कलमा’ पढ़ने के लिए कहा और फिर उनके शरीर पर खतना की जांच की। जो लोग ‘कलमा’ नहीं पढ़ पाए या जिन्हें खतना नहीं था, उन्हें आतंकवादियों ने गोली मार दी। यह एक खौ़फनाक सीन था।
भट्टाचार्य ने कैसे बचाई अपनी जान
भट्टाचार्य ने बताया कि जब वह अपने परिवार के साथ पेड़ के नीचे सो रहे थे, तो उन्हें आसपास के लोगों से ‘कलमा’ पढ़ने की आवाज़ें सुनाई दीं। उठने के बाद उन्होंने भी ‘कलमा’ पढ़ना शुरू कर दिया। इस दौरान एक आतंकवादी उनके पास आया और उनके पास बैठे व्यक्ति को गोली मार दी। आतंकवादी ने भट्टाचार्य से पूछा, “तुम क्या कर रहे हो?” भट्टाचार्य ने और जोर से ‘कलमा’ पढ़ा और आतंकवादी ने उन्हें छोड़ दिया।
खुद को बचाने के लिए दो घंटे की कठिन यात्रा
भट्टाचार्य ने कहा कि आतंकवादी के जाने के बाद उन्होंने और उनके परिवार ने हमले की जगह से भागने का प्रयास किया। उन्होंने कहा कि वे लगभग दो घंटे तक घने जंगलों में चलकर एक ऊँचाई पर पहुंचे और फिर घोड़े से वापस अपने होटल तक पहुंचे। भट्टाचार्य ने कहा, “मुझे अभी भी यकीन नहीं हो रहा कि मैं जिंदा हूं।”
पहलगाम हमले में 26 लोगों की जान गई
इस आतंकी हमले में कम से कम 26 लोग मारे गए, जिनमें अधिकांश पर्यटक थे। यह हमला अनंतनाग जिले के बाईसरान इलाके में हुआ था। हमले के समय यह इलाका पर्यटकों से भरा हुआ था और लोग घोड़ों की सवारी कर रहे थे और खाने के स्टॉल्स पर भीड़ लगे हुए थे।